लाइब्रेरी में जोड़ें

लेखनी प्रतियोगिता -29-May-2022 सूखा गुलाब



शीर्षक  = सूखा  गुलाब 



सुबह का समय  था। कुनाल अपने ऑफिस  में बैठा  कंप्यूटर पर  कुछ  कर  रहा  था । तभी  उसके केबिन में चाय  वाला लड़का  आता  चाय  देने। वो उसका शुक्रिया अदा करता  और वो लड़का  चाय  देकर चला  जाता।


कुनाल चाय  का एक घूट  लेकर  " वाह बहुत  उम्दा चाय  सारा दिमाग़ खुल  जाए "

तभी  उसका बिज़नेस  पार्टनर अशोक  भी  उसके केबिन में आता  और कहता  " वाह, चाय  का आनंद  लिया जा रहा  है  बहुत  खूब  "

"अरे अशोक  तुम, आओ आओ  चाय  पीते है  बहुत  ही जबरदस्त  चाय  बनायीं है  आज  " कुनाल ने कहा

"अरे नही यार, तुम पियो आज  कुछ  इंटरव्यू  के लिए  लोग आने वाले है  बस  उसी की तैयारी कर  रहा  हूँ क्या तुम चलोगे  उनका इंटरव्यू लेने " अशोक  ने पूछा 

"नही यार मुझे  इन सब  मामलो से दूर  ही रखो मैं तो कंप्यूटर पर  ही क्लाइंट को हैंडल  कर कर  के परेशान  हूँ " कुनाल ने कहा

"चल  अच्छा ठीक  है , मैं पास वाले कमरे  में हूँ कुछ  काम हो तो आ  जाना ' अशोक  ने कहा और चला  गया 

कुनाल चाय  का आनंद  लेते हुए  दोबारा अपने लैपटॉप पर  कुछ  करने  लगा ।

बाहर  एक के बाद एक इंटरव्यू के लिए  लोग आ  रहे  थे  जिनमे कुछ  लड़के  और कुछ  लड़कियां भी  थी ।

कुनाल अपना काम कर  रहा  था । तभी  अचानक  उसकी नज़र  बाहर  गयी  जहाँ लोग अपनी बारी का इंतज़ार  कर  रहे  थे  अपने हाथो  में अपनी डिग्री थामे ।

उन्ही में से एक लड़की  जो की कुनाल को जानी पहचानी  लगी । उसे देख  कर  उसे किसी की याद आ  गयी  उसने अपने आप  से कहा " नही ये वो नही हो सकती  भला  वो इस छोटी  सी जॉब के लिए  क्यू आएगी , नही ये कोइ और है  लेकिन इसका नाक नक्शा  तो बिलकुल वही  है  जो उसका था , नही नही मैं ये क्या सोच  रहा  हूँ वो तो एक अमीर  लड़के  से प्यार करती  थी और उसी से उसने शादी  की होगी "


कुनाल ने अपने आप  से कहा और लैपटॉप में लग  गया  लेकिन बार बार उसका ध्यान उसकी तरफ  जाता वो लैपटॉप के पीछे  से उसे देखता  और फिर  काम में लग  जाता।


आज  10 साल बाद उसे अपना अतीत  याद आ  गया  और उसकी आँख  से आंसू  निकल  आये। उसका मन  काम में नही लगा  और उसने अशोक  को फ़ोन  लगाया  और कहा " अशोक  मैं जा रहा  हूँ घर , मुझे  कुछ  अच्छा महसूस  नही हो रहा  है  कल  मिलता हूँ "

"ठीक  है  भाई , रात रात भर  काम करेगा  तो ऐसा ही होगा कितनी बार कहा है  तुझसे  शादी  कर  अपना घर  बसा  पत्नि और बच्चे  घर  पर  होंगे तो तू  काम को कम तर्जी देगा और जल्दी घर जाएगा। अकेला रहता  है  इसलिए  और बीमार हो जाएगा मेरे घर  चला  जा माँ भी  बुला रही  थी  तुझे "अशोक  ने कहा

"धन्यवाद, भाई  लेकिन मैं घर  जाकर आराम  करना  चाहूंगा  ठीक  है  अब मैं चलता  हूँ " कुनाल ने कहा और चला  गया  अपना मुँह वहा  बैठी  उस लड़की  से छिपा  कर ।

वो जान गया  था  की ये कशिश  ही थी  वो उस का चेहरा  कैसे भूल  सकता  था किसी ज़माने  में वो उससे प्यार करता  था और शायद  अब भी  करता  है ।

कुनाल उदास मन  से अपने घर  आ  गया । आज  दस  साल बाद उसका जख्म  दोबारा हरा  हो गया  था  उसकी आँखों  में पानी आ  गया । वो धीरे  धीरे  अपने कमरे  में रखी  अलमारी की तरफ  बड़ा  और वहा  से एक बहुत  सारी चीज़ो  के नीचे  दबी  एक डायरी निकाली और खोली  जिसके पहले  पन्ने पर कशिश  की तस्वीर लगी  थी  और साथ  में एक गुलाब का सूखा  फूल  था  जिसे छूते ही उसकी सूखी  पंखुड़िया चूर  चूर  होकर नीचे  गिरने लगी ।


उन्हें हाथ  में लेकर कुनाल ने कहा " मेरा दिल भी  इन्ही पंखुड़ियों की तरह  चूर  चूर  हो चुका  है  इन दस  सालों में इनमे और मेरे दिल में कोइ अंतर  नही।"

आखिर  क्यू तुम दोबारा मेरे सामने आ  गयी। ये डायरी में रखा  गुलाब तो इन दस  सालों में सूख कर  चूर  चूर  हुआ है  लेकिन मेरा दिल तो उसी दिन ही टूट  कर  टुकडे होकर  बिखर  गया  था।

जब  हाथ  में लाल गुलाब और उसके साथ  एक प्रेम पत्र लिए  अपनी मोहब्बत का इज़हार करने  तुमसे चला  था  क्यूंकि तुमने खुद  मुझे  वैलेंटाइन डे  वाले दिन बुलाया था। क्यूंकि मैं तुम्हारा अच्छा दोस्त था  उस दिन सज धज  कर  मैं तुम्हारे पास आया  हाथ  में एक लाल गुलाब लिए  ताकि तुम भी  मुझसे  वही  सब  कुछ  कहो  जो मैं तुमसे कहना  चाहता  था ।


लेकिन जब  तुमने मेरा हाथ  पकड़ा  और एक लड़के  की तरफ  इशारा  करके  कहा  की इससे मिलो ये है  सौरभ  जिससे मैं प्यार करती  हूँ और तुमसे मिलवाना चाहती  हूँ क्यूंकि तुम मेरे सबसे  अच्छे दोस्त हो।

उस दिन मुझे  पता  चला  की मेरा प्यार सिर्फ एक तरफ़ा  था मेरी की गयी  सारी हमदर्दी  तुम्हे सिर्फ मेरी दोस्ती लगी  उसके पीछे  छिपा  प्यार तुम्हे नज़र  ही नही आया ।

उस रात घर  आकर  उस प्रेम पत्र को जला  दिया जिसमे मेने अपने ज़ज़्बातो को लफ्ज़ो में बयान करके  कोरे कागज  पर  स्याही की मदद  से उतारा था  ताकि तुम्हे बता  सकूँ  की इस दुनिया में अगर  कोइ तुम्हे प्यार कर  सकता  है  तो वो मैं हूँ।

वो गुलाब जो मैं तुम्हे देने के लिए  लाया था  उसे अपनी डायरी में रख  कर  तुमसे दूर  चला  आया  की कही  मोहब्बत मुझसे  कुछ  उल्टा सीधा  ना करा दे क्यूंकि किसी ने कहा है  मोहब्बत और जंग  में सब  जाइज  है ।


लेकिन आज  इतने सालों बाद फिर  वही  चेहरा  मेरी आँखों  के सामने आ  गया  जिसके आते  ही मेरे सारे जख्म  हरे हो गए  जिनको वक़्त भी  सही  ढंग  से नही भर  पाया।


कुनाल की आँखों  से आंसू  बह  रहे  थे  उसने वो डायरी रख  दी और उसमे से वो गुलाब भी  निकाल फेका  जो उसके दिल में किसी फाँस की तरह  चुभा  हुआ था  और वही  पास में रखी  शराब  की बोतल को मुँह लगा  कर  बिस्तर पर  गिर गया ।



अगले दिन उसने दफ़्तर  में कल  हुए  इंटरव्यू की फ़ाइल मंगाई  तो देखा उसमे कशिश  के नाम के आगे  साइन नही हुए  थे  पूछने  पर  पता  चला  की उन्होंने इंटरव्यू नही दिया और वापस  चली  गयी  बिना इंटरव्यू दिए ।

शायद  उसने भी  कुनाल को देख  लिया और वो भी  वहा  से चली  गयी  शायद  उसे भी  अंदाजा था  की कुनाल के  कॉलेज  छोड़  के जाने की वजह  उससे उसकी मोहब्बत थी  जो वो कभी  समझ  ही नही सकी  और गलत  लड़के  से प्यार कर  बैठी  जो कुछ  ही सालों में उसे धोखा  दे कर  भाग  गया  और अब तक  नही लोटा।



प्रतियोगिता हेतु लिखी  कहानी  



 

   23
9 Comments

Shnaya

31-May-2022 09:43 PM

शानदार

Reply

Priyanka Rani

30-May-2022 05:39 PM

Nice👌👌

Reply

Seema Priyadarshini sahay

30-May-2022 03:40 PM

Nice

Reply